एक गरीब आदमी ने नींद में सपना देखा कि उसने अपने दोस्त हरिराम से 100 रुपये उधार लिए हैं। सुबह जब वह बिस्तर से उठा तो उसने स्वप्न के बारे में अपने दोस्तों को बताया। इस तरह या बात चारों तरफ फैल गई की घनश्याम ने हरिराम से 100 रुपये उधार लिए हैं।
हरीराम को जब यह बात मालूम हुई तो वह घनश्याम के पास पहुंच कर बोला, “मैंने तुम्हें जो 100 रुपये दिए थे मुझे वापस कर दो।” घनश्याम आश्चर्य से बोला, “यह तुम क्या कह रहे हो ? वह तो स्वप्न की बात थी।” हरिराम बोला, “देखो, इंकार ना करो। गवाही सैकड़ों लोग दे सकते हैं। तुमने स्वयं सब से यह बात कही है। रुपए लेना तुमने खुद स्वीकार किया है।”
“दोस्त, वह तो सपने की बात थी। सपने की बात सच थोड़े ही होती है ?” घनश्याम ने कहा। हरिराम भौंहें चढ़ाकर बोला, “मैं कुछ नहीं जानता, जब तुम ने रुपए लेना स्वीकार कर लिया है तो तुम्हें रुपये देनी ही पड़ेंगे। अगर तुम रुपये नहीं दोगे तो मैं यह मामला बादशाह अकबर के दरबार में ले जाऊंगा।
घनश्याम इतना गरीब था कि उसके पास तो कभी ₹100 होते ही नहीं थे, वह ₹100 देता भी तो कैसे देता ? वह बहुत ही परेशान हो गया और डर गया। आखिर मामला बादशाह अकबर के दरबार में पहुंचा। बादशाह ने यह मामला बीरबल को सौंपते हुए कहा, बीरबल अपनी चतुराई से सही न्याय करो।
दोनों पक्षों की पूरी बातें सुनी। गवाहों की बातें सुनी। फिर ₹ 100 गिन कर एक थैली में रखें और हरिराम के सामने उस थैली को सरकाते हुए एक आईने के सामने इस तरह से रखी कि आईने में साफ दिखने लगा। आईने की ओर इशारा करते हुए बीरबल ने ऊंचे स्वर में कहा, “हरिराम, तुम आईने से अपने रुपये ले सकते हो।”
हरिराम आश्चर्य से बोला, “हुजूर आईने में दिखाई देने वाले को मैं कैसे ले सकता हूं ?”
बिल्कुल सही कहा। “बीरबल बादशाह की ओर देखते हुए बोले, सपना भी तो एक प्रतिबिंब की तरह ही होता है। फिर सपने में उधार लिया गया रुपया कैसे वापस किया जा सकता है ?” हरिराम, तुमने झूठा आरोप लगाकर दरबार का समय बर्बाद किया है। अतः तुम पर ₹ 20 का जुर्माना किया जाता है ताकि भविष्य में कभी ऐसी गलती ना करो।
बीरबल के इस न्याय से बादशाह बहुत प्रसन्न हुए। लालची हरिराम को लेने के देने पड़ गए।