दूध भाई

एक शाम बादशाह अकबर ने बीरबल से कहा, “बीरबल, हमारी दाई मां का बेटा हमारा दूध भाई है, क्योंकि मैंने दाई मां का दूध पिया है। क्या तुम्हारा भी कोई दूध भाई है ?”
बीरबल बोले, “जी, जहांपना, है।” बादशाह ने चुटकी लेते हुए कहा, “तो तुम उसे दरबार में क्यों नहीं लाते हो ?”
बीरबल ने कहा, “जहांपनाह, वह अभी नन्हा-सा बच्चा है। दरबार में उसे नहीं ला सकता।
शहंशाह अकबर बोले, “छोटा है तो क्या हुआ, कल तुम उसे दरबार में ले आओ।”
अब बीरबल मना भी तो नहीं कर सकते थे। वह बोले, “हुजूर, मैं आपकी हुक्म का पालन करूंगा।” घर आकर बीरबल ने गाय के बछड़े को खूब सजाया और दूसरे दिन उसे दरबार में लेकर पहुंच गए।
अकबर हैरान होते हुए बोले, “बीरबल, यह क्या है ?”
बीरबल सिर झुका कर बोले, “हुजूर, यह मेरा दूध भाई है।”
बादशाह बोले, “क्या बछड़ा तुम्हारा दूध भाई है ?”
जवाब में बीरबल ने कहा, “हां, यही है। जिस गाय का मैं दूध रोज पीता हूं, यह उसी गाय का बछड़ा है।”
बादशाह अकबर बीरबल की इस बुद्धिमता पर खुश हो गए।
 
जिसका हम खाते हैं, उसका आदर करना चाहिए।