बादशाह अकबर एक दिन बीरबल के साथ सुबह की सैर पर निकले। एक नंगे आदमी को देखकर उन्हें गुस्सा आ गया। उन्होंने बीरबल से पूछा, “बताओ बीरबल, सबसे अधिक सुखी इस दुनिया में कौन है ? मैं तरह तरह की वेशभूषा में लोगों को जीवन बिताते तथा अनेक प्रकार के भगवानों की पूजा/इबादत आदि करते देख कर असमंजस में पड़ गया हूँ। बीरबल, मुझे मालूम है, मेरे सवाल का जबाब केवल तुम ही दे सकते हो।”
बीरबल बोले, “हुजूर, कोई आदमी कितना सुखी है या कितना दुःखी है, इसका पता तो उसके मरने के बाद ही चल पाता है।”
“बीरबल, तुम क्या कहना चाहते हो, हम समझे नहीं।” शहंशाह अकबर ने कहा।
बीरबल बोले, “जहांपनाह, आज जो आदमी सुखी है, वही कल को मुसीबत में पड़कर दुखी हो जाता है। फिर ऐसे में किसी जिंदा व्यक्ति को कैसे सुखी या दुखी कहा जा सकता है।
यहाँ अनगिनत ऐसे आदमी हैं, जो दिखते तो सुखी हैं, पर उनका दिल दुःखों से भरा पड़ा है। फिर उन्हें सुखी कैसे कहा जा सकता है। हुजूर, मेरी राय में तो जो व्यक्ति सुखपूर्वक मरता है, वही सुखी होता है।’
बीरबल के इस जवाब को सुनकर शहंशाह बहुत प्रसन्न हुए और उनकी तारीफ करने लगे।